जयशंकर के पाकिस्तान दौरे से इतनी खुश क्यों हैं हिना रब्बानी? विदेश मंत्री की सीधी-सच्ची बात का हर कोई मुरीद

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। वह शंघाई सहयोग संगठन(SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज इस्लामाबाद पहुंचेंगे। किसी भी भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा करीब 10 साल बाद हो रहा है। हालांकि, उनका य

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नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान के दौरे पर जा रहे हैं। वह शंघाई सहयोग संगठन(SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज इस्लामाबाद पहुंचेंगे। किसी भी भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा करीब 10 साल बाद हो रहा है। हालांकि, उनका यह दौरा द्विपक्षीय नहीं है। इस दौरे से उत्साहित पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भी इसे भारत का स्मार्ट पहल करार दिया है।
हालांकि, पाकिस्तान ने इस संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता भेजा था। मगर, मोदी सरकार ने जयशंकर को भेजने का फैसला किया। दरअसल, जयशंकर की विदेश नीति पर गहरी पकड़ है और वह कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब दे चुके हैं। जयशंकर की साफगोई और खरी-खरी की दुनिया दीवानी है। यहां तक कि उन्हें सोशल मीडिया पर भी इसकी तारीफ मिल चुकी है। जानते हैं कि जयशंकर की कूटनीतिक शैली और एससीओ के बारे में।

भारत का जयशंकर को भेजने का फैसला सही: हिना

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल से बातचीत में पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि भारत ने किसी नौकरशाह को ना भेजकर जयशंकर को भेजने का फैसला करके स्मार्ट पहल की है। भारत के साथ हमारा द्विपक्षीय संबंध सामान्य स्तर पर नहीं है। वो भी ऐसे वक्त में जब दोनों देशों में एक दूसरे के यहां उच्चायुक्त भी नहीं हैं। ये बहुत अजीब स्थिति है। इससे पहले एक न्यूज चैनल में उन्होंने जयशंकर का स्वागत खुले दिल से किए जाने की बात कही थी। माना जा रहा है कि इस दौरे से भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार की शुरुआत हो सकती है।

भारत-पाकिस्तान के संबंध अरसे से बेपटरी

SCO की इस बार की सालाना बैठक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 15 और 16 अक्टूबर को है। इसका सदस्य होने के नाते भारत के प्रतिनिधिमंडल की अगुआई विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं। इस दौरे से भारत-पाकिस्तान में संबंध सुधरने की उम्मीद न के बराबर है, मगर पाकिस्तान और सोशल मीडिया पर इसकी खासी चर्चा है। दोनों देशों के संबंध अरसे से बेपटरी हैं।

जयशंकर की यह साफगोई देखिए, आप भी मुरीद

जयशंकर ने अपने पाकिस्तान दौरे को लेकर पहले ही कहा था कि यह दौरा एक क्षेत्रीय समिट के लिए है। मैं भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं एससीओ के एक अच्छे सदस्य के तौर पर जा रहा हूं। जयशंकर की यह साफगोई कूटनीतिक जगत में हर किसी को रास आती है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने भी जयंशकर के दौरे को लेकर कहा कि अभी भारत से द्विपक्षीय बातचीत को लेकर कोई योजना नहीं है।
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कुछ का मानना है कि यह संबंध सुधारने का बड़ा मौका

पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया ने हॉगकांग से निकलने वाले सरकारी अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा है कि जयशंकर का पाकिस्तान जाना दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का अहम मौक़ा है। भारत ने एक मंत्री को भेजने का फैसला कर यह मैसेज दिया है कि वह अपने पड़ोसी से संबंधों में स्थिरता चाहता है। दोनों देश संबंधों की शुरुआत अपने-अपने उच्चायुक्त भेजकर कर सकते हैं।

जब जयशंकर ने UN को बता दिया पुरानी कंपनी

जयशंकर ने हाल ही में एक सम्मेलन में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र (UN) एक ‘पुरानी कंपनी’ की तरह है जो बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही है, लेकिन बाजार में जगह घेर रही है। इससे देशों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने पर मजबूर होना पड़ा है।


जब पाकिस्तान को कहा-अपने कर्मों का फल भुगत रहा

जयशंकर ने इससे पहले 28 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने कर्मों का फल भुगत रहा है और पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ कट्टरता में ही काम आती है। उन्होंने कहा-आतंक के हर रूप का विरोध होना चाहिए। हमारा पड़ोसी देश आतंकवाद के लिए जाना जाता है लेकिन वह कभी भी कामयाब नहीं होगा।

चीन को भी सुनाई खरी-खोटी, सीमा विवाद पर घेरा

हाल ही में अमेरिका के दौरे पर गए जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ हमारे अपने संबंधों की एक लंबी कहानी है। हालांकि, संक्षेप में कहें तो सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारे बीच समझौते हुए थे, चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया है।

क्या है SCO, कब आया था वजूद में

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा संगठन है। वैसे तो इसकी स्थापना साल 2001 में चीन और रूस ने की थी, जो अब दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन चुका है। भारत और पाकिस्तान 9 जून 2017 को अस्ताना में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल हो गए।
sco summit


SCO के दायरे में दुनिया की 40 फीसदी आबादी

SCO में यूरेशिया के लगभग 80% क्षेत्र और इसके दायरे में दुनिया की 40% आबादी है। SCO के 9 सदस्य देश हैं- चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, बेलारूस, ईरान और उज्बेकिस्तान। ईरान वर्ष 2023 में इसका सदस्य बना। अफगानिस्तान और मंगोलिया पर्यवेक्षक का दर्जा रखते हैं। संगठन के वर्तमान और आरंभिक संवाद भागीदारों में अजरबैजान, आर्मेनिया, मिस्र, कतर, तुर्किए, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं।

SCO का मकसद पड़ोसियों में तालमेल बढ़ाना

SCO का मकसद सदस्य देशों के बीच विश्वास और पड़ोसी व्यवहार बढ़ाना है। तकनीकी, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तरों पर सहयोग बढ़ाना है। परिवहन, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, ऊर्जा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। यूरेशियाई क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और शांति के स्तर को बढ़ाया जाएगा। एक लोकतांत्रिक और नियम आधारित वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक वातावरण के निर्माण को बढ़ावा देना इसका अन्य अहम मकसद है। एससीओ का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों बीच शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है।

क्या SCO के मकसद में आड़े आ रहा चीन

पूरी दुनिया की जीडीपी में एससीओ देशों की 20 फीसदी हिस्सेदारी है। दुनिया भर के तेल रिजर्व का 20 फीसदी हिस्सा इन्हीं देशों में है। एससीओ का कहना है कि इसका एक अहम मकसद ‘तीन बुराइयों’ यानी आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद से लड़ना है। ब्रिटेन स्थित विदेश मामलों के थिंक टैंक चैथम हाउस के एनेट बोर के अनुसार, संगठन का जो मकसद है, उसे पूरा करने में चीन ही आड़े आ रहा है, क्योंकि उसके उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में अलगाववाद की आवाजें उठ रही हैं।


चीन मध्य एशिया के लिए बना रहा नेटवर्क

चीन एससीओ को मध्य एशिया में अपने व्यापारिक संपर्क को बढ़ावा देने के जरिये के तौर पर भी देखता है। चीन, कजाखस्तान जैसे देशों से ज्यादा से ज्यादा तेल और गैस खरीदना चाहता है। उसने यहां से तेल और प्राकृतिक गैस की सप्लाई हासिल करने में सफलता हासिल की है। चीन पाकिस्तान से होकर जाने वाले अपने 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' के जरिये पश्चिमी देशों के साथ जो संपर्क कायम करना चाहता है, वे इन मध्य एशियाई देशों से ही होकर गुजरेंगे। चीन अपने निर्यात के लिए रूसी रेलवे पर निर्भर रहा है। ऐसे में वो पूरे मध्य एशिया में ऐसा रेल नेटवर्क बनाना चाहता है जो ईरान में समुद्र तक इसके सामान को पहुंचाने में मदद करे।

भारत के साथ चीन और पाकिस्तान का है सीमा विवाद

भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ अरसे से सीमा विवाद चला आ रहा है। इस मामले में चीन और भारत के बीच कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं। चीन के साथ अरुणाचल सीमा पर तो पाकिस्तान के साथ पीओके को लेकर भारत से रिश्ते काफी तल्ख रहे हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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